Saturday, January 22, 2011

तुलसी पर कुरबान

रामचरित मानस विमल, संतन जीवन प्रान |
हिंदुवान को वेद सम , जमनहि प्रगट क़ुरान ||

रहीम
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शुभ दिन लिए यह सावन का महीना आया ,
तब जाके मेरे हाथ में नगीना आया |
तुलसी पे आया जो लिखने का ख्याल ,
बड़ी देर ख्यालों को पसीना आया |
संसार को राम ने संवारा लेकिन ,
संसार के राम को संवारा तुमने |
जिस राम को वनवास दिया दशरथ ने ,
उस राम को घर-घर पहुंचा दिया तुमने |
दिल का इरादा तो है यहाँ तक पहुचूँ ,
अब अपनी पहुँच पर है जहाँ तक पहुचूँ |
तुलसी पे लिख के यहाँ तक पहुँचा,
श्री राम पे लिखूँ , तो कहाँ तक पहुचूँ ||

नज़ीर बनारसी

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