Saturday, November 20, 2010

मेरा नजरिया

ग़मों की आंच पे आंसू उबालकर देखो
बनेगे रंग किसी पर भी डालकर देखो
तुम्हारे  दिल की  चुभन भी जरूर  कम होगी
किसी के पाँव से कांटा निकाल कर देखो 

डॉ. कुंवर बेचैन